Sunday 29 March 2015

मनोरंजक है - ‘‘बाज गईल डंका’’


अभय सिन्हा और सुनीला मिश्रा द्वारा प्रस्तुत दुर्गा फिल्म्स प्रोडक्शन कृत ‘‘बाज गईल डंका’’ भोजपुरी फिल्मों की पुरानी डगर पर ही चलती है। लेकिन रवि भूषण द्वारा लिखित-निर्देशित यह एक्शन थ्रिलर मनोरंजक है। निर्माता संजय कुमार मिश्रा की यह फिल्म बिहार-नेपाल सीमा पर व्याप्त अवैध हथियारों की तस्करी और उससे उपजी समस्याओं पर आधारित है। अवधेश मिश्रा और अजय कुमार सिंह मिंटू क्रमशः बिहार और नेपाल के डाॅन हैं और सारी वारदातों को यही अंजाम देते हैं। नत्था (मंटू), सिराज (मिश्रा) का ही गुर्गा है। व्यवधान डालने के कारण नत्था पुलिस अधीक्षक विराज भट्ट के पूरे परिवार को मार डालता है। विराज, नत्था से बदला लेने के लिए नौकरी छोड़ मिशन पर लग जाते हैं।
दूसरे परिदृश्य में पवन सिंह पुलिस इन्स्पेक्टर हैं। काजल राघवानी उनसे टकराती है और कुछ पुरानी रीति-रिवाजों के साथ उनकी शादी की बात पक्की हो जाती है।
एक घटनाक्रम में पवन-विराज मिलते हैं। फिल्मी शैली में अंततः दोनों दुर्जनों का अंत होता है। मधुकर आनन्द का संगीत मौलिक नहीं होते हुए भी कर्णप्रिय है। रियाज सुल्तान का एक्शन और आर.आर. प्रिंस का छायांकन अच्छा है। महादेवन और संजय कोर्बे ने कुछ अलग कोरियोग्राफी की है। अभिनय में पवन सिंह, काजल राघवानी की जोड़ी जमी है। अवधेश मिश्रा और अजय कुमार मिंटू ने कुछ अलग करने की कोशिश की है। दीपक सिन्हा का अभिनय बेहतर है। आनंद मोहन, संजय वर्मा ने काॅमिक सपोर्ट किया है। कुल मिलाकर ‘‘बाज गईल डंका’’ एक मनोरंजक फिल्म है और नयापन से भरी है।

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